NOT KNOWN DETAILS ABOUT BAGLAMUKHI SADHNA

Not known Details About baglamukhi sadhna

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नोट: बगलामुखी से संबंधित सभी पूजन व प्रयोग आदि विशेषकर रात्री में ही होते हैं और इसी आधार पर भक्तों की भिन्न-भिन्न समस्यों हेतु ही दिवस अथवा रात्री पूजन, आह्वानव व प्रयोग का निर्णय लिए जाता हैं।

देवी अपने अंग, परिवार, आयुध और शक्ति सहित पधारें तथा मूर्ति में प्रतिष्ठित होकर हमारी पूजा ग्रहण करें। इस हेतु संपूर्ण शरणागतभाव से देवी से प्रार्थना करना, अर्थात उनका आह्वान करना। आह्वान के समय हाथ में चंदन, अक्षत एवं तुलसीदल अथवा पुष्प लें। आह्वान के बाद देवी का नाम लेकर अंत में ‘नम:” बोलते हुए उन्हें चंदन, अक्षत, तुलसीदिल अथवा पुष्प अर्पित कर हाथ जोड़ें।

Sir , can I recite the mantra on day by day basis or any issue I need to before chanting mantra every day right after bathtub of bagalamukhi Devi..

The initiation from the expertise supplied via the Guru for straightforward, Harmless and secure living, which the Guru painstakingly shares being an experience, is the 1st apply to accomplish that awareness-like honor and grace.

गान, पश्चात अस्टोत्री पाठ कथा, जप प्रयोग,

The power and dread in the debate plus the realization from the soul-factor is achievable only in the Guru. Any Distinctive scholar, saint and saint who considers this Indian society as a heritage and sacred, and it has a Exclusive achievement, then getting his grace is known as initiation.

Om hlīṁ bagalāmukhi sarva duṣṭānāṁ vācaṁ mukhaṁ padaṁ stambhaya jihvāṁ kīlaya bud'dhiṁ vināśaya hlīṁ phaṭa

यह बगलामुखी प्रयोग उन लोगों के लिए लाभकारी है जिन्हें विदेश जाने मैं कई सारी समस्याओं का सामना करना पद रहा है।

सौवर्णामनसंस्थितां त्रिनयनां पीतांशुकोल्लसिनीम्

मेरे पास ऐसे बहुत से लोगों के फोन और मेल आते हैं जो एक क्षण में ही अपने दुखों, कष्टों का त्राण करने के लिए साधना सम्पन्न करना चाहते हैं। उनका उद्देष्य देवता या देवी की उपासना नहीं, उनकी प्रसन्नता नहीं बल्कि उनका एक मात्र उद्देष्य अपनी समस्या से विमुक्त होना होता है। वे लोग नहीं जानते कि जो कष्ट वे उठा रहे हैं, वे अपने पूर्व जन्मों में किये गये पापों के फलस्वरूप उठा रहे हैं। वे लोग अपनी कुण्डली में स्थित ग्रहों को देाष देते हैं, जो कि बिल्कुल गलत परम्परा है। भगवान शिव ने सभी ग्रहों को यह अधिकार दिया है कि वे जातक को इस जीवन में ऐसा निखार दें कि उसके साथ पूर्वजन्मों का कोई भी दोष न रह जाए। इसका लाभ यह होगा कि यदि जातक के साथ कर्मबन्धन शेष नहीं है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। लेकिन हम इस दण्ड को दण्ड न मानकर ग्रहों का दोष मानते हैं।व्यहार में यह भी आया है कि जो जितनी अधिक साधना, पूजा-पाठ या उपासना करता है, वह व्यक्ति ज्यादा click here परेशान रहता है। उसका कारण यह है कि जब हम कोई भी उपासना या साधना करना आरम्भ करते हैं तो सम्बन्धित देवी – देवता यह चाहता है कि हम मंत्र जप के द्वारा या अन्य किसी भी मार्ग से बिल्कुल ऐसे साफ-सुुथरे हो जाएं कि हमारे साथ कर्मबन्धन का कोई भी भाग शेष न रह जाए।

ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मखम पदम् स्तम्भय।

प्रथम उपचार: देवी का आवाहन करना (देवी को बुलाना)



- साधना में छत्तीस अक्षर वाला मंत्र श्रेष्ठ फलदायी होता है।

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